रंग बदलती दुनिया में झूठी शान और शौकत है, अक्सर हम अपनों को छोड़ देते हैं। रंग बदलती दुनिया में झूठी शान और शौकत है, अक्सर हम अपनों को छोड़ देते हैं।
इंसान समाज में खेल रहा आज आग में ! इंसान समाज में खेल रहा आज आग में !
के किसको बनाने के खातिर हम किसको मिटाना चाहते हैं। के किसको बनाने के खातिर हम किसको मिटाना चाहते हैं।
या वो झूठ जो सच पर लगाकर सीधी चढ़ता गया। या वो झूठ जो सच पर लगाकर सीधी चढ़ता गया।
मैं हूं व्यक्ति कुटुंब अगर यह मेरा होता मेरे सुख दुख में वह भी तो हंसता रोता । मैं हूं व्यक्ति कुटुंब अगर यह मेरा होता मेरे सुख दुख में वह भी तो हंसता रोत...
आदर्श तुम्हारे ख़ुद के ही, तहखाने में सड़ जाते है। आदर्श तुम्हारे ख़ुद के ही, तहखाने में सड़ जाते है।